وطن پال او نور ګټور شعرونه
چا پيريال
Adil watanmal
22.08.2004
=========================چا پيريال=================================
دلته چې وحشت د انسانيت جامى اغوستې دى
----------------------------------------ځلانده چاپيريال مې د ظلمت جامى اغوستې دى
څنګه به توپير اوس د انسان وشيطان وكړم
----------------------------------------دلته هر انسان د شيطانت جامې اغوستې دى
نوم د اسلام ډير دى خو اسلام پكښې ډير نه وينم
----------------------------------------خلكو تش په خوله د اسلاميت جامې اغوستې دى
فكر دعرفان او د علميت چا سره نشته دى
---------------------------------------ګردو په سيالۍ د جهالت جامې اغوستې دى
تورې بلاګانې د رڼا د مور وژل غواړي
---------------------------------------شپو ورته له قهره د قيامت جامې اغوستې دى
نه سړى د ښه سړى توهين نه ډډه نه كوى
--------------------------------------- ښه سړى حيا نه د عزت جامې اغوستې دى
څنګه دې سپين غره په لمن كښې اوښكې پريوتې؟
-----------------------------------------تا خو له پيرونو د همت جامې اغوستې دى
هر څو كه درځم د فطرت ځانګړي غړي يم
------------------------------------------بيا مې هم نفاق ته د نفرت جامې اغوستې دى
څو كه دې شمشاده ملنګ جان عزم ته ټيټه ده
-----------------------------------------ستا دې لوړ قامت د محكوميت جامې اغوستې دى
+++++++++++++شاعر: ملنګ جان شابيوال+++++++++++++
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د ازاد اسلامي افغانستان په هيله
عادل وطنمل