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دتکبيرمرمئ به وخوري تالي څټه
عبدالله صابر
02.04.2009
دتکبيرمرمئ به وخوري تالي څټه
په ميدان به پاتي کيږي بي همته
خړي سترګې به ولاړوي له ذلته
داملت به درنه غواړي حسابونه
------------------------------ دتکبيرغشي به ومني ځيګرته
------------------------------ چي سينه کښ دځای ورکړلوډالرته
------------------------------ په څوورځوکښ تياراوسه نمبرته
------------------------------ تکيه هسي جوړه وي غربي لښکرته
------------------------------ انديښمن اوسه ظالمه لوی خطر ته
------------------------------ چي دړنګ کړل دايمان قوي بندونه
دتکبيرمرمئ به وخوري تالي څټه
په ميدان به پاتي کيږي بي همته
خړي سترګې به ولاړوي له ذلته
داملت به درنه غواړي حسابونه
------------------------------- دبادارکډه دوينم نن صبا ده
------------------------------- هروګړئ درکودپه تماشاده
------------------------------- په رازونوکښ نيمګړئ نيمه خواده
------------------------------- زماخاوره دسرکشوحشرګاه ده
------------------------------- چاچي کړي په يرغل کښ ابتداده
------------------------------- مونږمات کړي دي هغه ابرځواکونه
دتکبيرمرمئ به وخوري تالي څټه
په ميدان به پاتي کيږي بي همته
خړي سترګې به ولاړوي له ذلته
داملت به درنه غواړي حسابونه
------------------------------- ټيټي سترګې به ولاړوي ډالرخوره
------------------------------- احتساب به دجرمونوکړي مزدوره
------------------------------- يابه تښتي دبادار سره له کوره
------------------------------- دناموس ترڅنګ به ناست وي درته نوره
------------------------------- چي دونغښته غلاف کښ خپله توره
------------------------------- قبلوي به دم په دم دالعنتونه
دتکبيرمرمئ به وخوري تالي څټه
په ميدان به پاتي کيږي بي همته
خړي سترګې به ولاړوي له ذلته
داملت به درنه غواړي حسابونه
------------------------------ يوه ورځ ده سپين بيرغ په رپا وي
------------------------------ خوارطالب به يی نهروته په موسکاوي
------------------------------ رروان به مي ملګري له کيوبا وي
------------------------------- دشين سترګوله پنجونه به رها وي
------------------------------- خالي غږبه دطالب اود ملا وي
------------------------------- بدرودين به په نازاخلي قدمونه
دتکبيرمرمئ به وخوري تالي څټه
په ميدان به پاتي کيږي بي همته
خړي سترګې به ولاړ وي له ذلته
داملت به درنه غواړي حسابونه
والسلام